नैतिक मूल्यों, सहिष्णुता और सामाजिक जिम्मेदारियों को भी अपनाएं। यही संपूर्ण शिक्षा का सार है: शिव विनायक
जयपुर:
"राजस्थानी लोक संगीत मेरी आत्मा है और उसका साकार रूप आज मुझे देखने को मिला।"- सीमा मिश्रा
ये कहना था स्वर कोकिला, राजस्थान की लता व विभिन्न अलंकरणों एवं पुरस्कारों से सम्मानित मरू कोकिला सीमा मिश्रा का। अवसर था संजय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के सभागार में आयोजित अभिविन्यास कार्यक्रम नवोत्थान-2025 का। कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मरु कोकिला सीमा मिश्रा, विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार,सम्पर्क क्रान्ति परिवार (भारत का प्रखर साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव विनायक शर्मा, प्राचार्य प्रो. सुनीता भार्गव, प्रो. रतन कुमार भारद्वाज एवं अभिविन्यास प्रभारी डॉ. रीटा झाझड़िया ने माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया। "अतिथि देवो भवः" की भारतीय परम्परानुसार अतिथियों का तिलक लगाकर एवं पौधा भेंट कर स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सुनीता भार्गव ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत करते हुए बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक धरोहर, सामाजिक मूल्य, सृजनात्मक व क्षेत्रीय भाषा की महत्ता के आलोक में क्षेत्रीय लोक संगीत के माध्यम से भारतीय ज्ञान परम्परा को सहेजना एवं जीवन्त रखना था। इसी उद्देश्य को साकार करते हुए भारतीय लोक संस्कृतियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिलाने वाली मुख्य अतिथि लोक संगीत सम्राज्ञी मरु कोकिला ने अपनी सुमधुर आवाज में केसरिया बालम, मिश्री का बाग, घूमर आदि सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों ने भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत सांस्कृतिक गतिविधियों जैसे एकल एवं सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किये। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शिव विनायक ने सभी को संबोधित करते हुए भारतीय संस्कृति एवं भाषा के महत्व तथा भावी शिक्षकों के उत्तरदायित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन आप सभी नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं के जीवन में एक नया अध्याय है। आप सबने एक नई यात्रा शुरू की है—ज्ञान की, अनुभव की, और आत्म-विकास की। संजय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं है, बल्कि यह वह स्थान है जहाँ आपके विचार आकार लेते हैं, आपके सपनों को दिशा मिलती है, और आपके व्यक्तित्व का निर्माण होता है।
इस यात्रा में चुनौतियाँ आएंगी, संदेह होंगे, लेकिन याद रखिए—हर मुश्किल अनुभव आपके आत्मबल को मजबूत करता है। शिक्षक आपके पथप्रदर्शक हैं, और आपके सहपाठी आपके सहयात्री। आपसी सहयोग, अनुशासन और निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।
मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप न केवल अकादमिक उपलब्धियों पर ध्यान दें, बल्कि नैतिक मूल्यों, सहिष्णुता और सामाजिक जिम्मेदारियों को भी अपनाएं। यही संपूर्ण शिक्षा का सार है। इस अवसर पर
महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. सुनीता भार्गव ने अतिथियों को स्मृति चिह्न व शॉल भेंट कर आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का सफल संचालन महाविद्यालय की सहायक आचार्य डॉ. अंजना अग्रवाल ने किया।
कार्यक्रम के अन्त में डॉ. रतन कुमार भारद्वाज ने सभागार में उपस्थित महाविद्यालय परिवार के समस्त सदस्यों जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग दिया उन सभी का हृदय से अभिनन्दन करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।
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