बहनों का रिश्ता जग में ज्यों फूलों के माल।

 

 बहनों का रिश्ता जग में ज्यों फूलों के माल।


गम आधा खुशी दुना कर दे, यही हकीकत 

प्यार भरा मन है श्रीराधे जिसकी अकीदत

गजब है धीरज कि सब सुन लेती चुपचाप 

एक गलती पर कभी वो देती खूब नसीहत


सावित्री का सत है वो ,सूर्य सा चमके भाल

विकट परिस्थितियों में खड़ी बन कर ढाल।

संघर्ष  जिसका मूल मंत्र और कर्म है पूजा

उसके आगे शीश नवाते कुसमय की चाल।


बहनों का रिश्ता जग में ज्यों फूलों के माल।

सखी  बन सुन लेती है , सुख दुःख के हाल।

करती याद हमेशा दीवाली की खीर-बताशे,

बचपन के संग नभूली भरतगोले के धमाल।


रब ने‌ दी सौगात बहन,ये रिश्ता है अनमोल ,

लगती छरहरी डाली ,पहले थी गोल-मटोल ।

सबका हाल-समाचार रहता है उसके पास,

अपने हर किरदार में  रखती पूरा है कंट्रोल ।


अनामिका मिश्रा 'दीपप्रिया'

रांची, झारखंड

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